आज जितना हम आगे बढ़ते जा रहे हैं उतना ही रिश्तों को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। पिछली पीढ़ी के लोग के लिए रिश्तों की एहमियत तरक्की और कामकाज से अधिक हुआ करती थी। लेकिन आज की युवा पीढ़ी सिर्फ अपने काम और स्वार्थ को ही सर्वोपरि रखा करती है। इसी वजह से धीरे धीरे रिश्तों की मर्यादा कम होती जा रही है। प्रेम जैसे पवित्र भाव आज स्वार्थ और अहंकार की भेंट चढ़ गए हैं। जो प्रेम कभी जन्म जन्म का हुआ करता था, आज दिनों का बन कर रह गया है। एक शख्स जिसने उस रिश्ते को ही अपना सब
कुछ समझ लिया हो उसे कितना कष्ट पहुंचा होगा। सिर्फ एक शब्द कह देने भर से वो सारे पल जो दोनों ने एक साथ बिताए थे वो भी खत्म हो जाते हैं क्या? क्या किसी को भुला पाना इतना आसान होता है। चंद पन्नों पर उभरे लफ़्ज़ों को तो रबर से मिटाया जा सकता है पर उन लफ़्ज़ों को मिटाने का तो कोई औजार बना ही नहीं जो रुह पर लिखे गए हों। रुह पर उभरे हुए इन लफ़्ज़ों को मिटाने में कभी कभी एक जिंदगी ही खत्म हो जाया करती है।
नताशा पांच बजे शाम से ही राघव का रे पर इंतज़ार कर रही थी। राघव उसकी ज़िन्दगी में एक ख़्वाब की तरह आया था। दो हफ्ते पहले हुई एक मुलाकात इतनी खूबसूरत लगने लगेगी। यह नताशा ने भी कहां सोचा था। उसकी आँखों में नई मोहब्बत की चमक साफ़ झलक रही थी। गुज़रे हुए वक्तों की दास्तानें भी कभी-कभी दिमाग को राहत देती थीं। राघव दो दिन पहले जरूरी काम बोल कर शहर से बाहर गया हुआ था। रात होने को थी लेकिन राघव का कहीं कुछ पता नहीं चला। दस बजे तक इंतजार करने के बाद नताशा ने एक बार फिर राघव को फोन लगाया पर अभी भी पहुंच के बाहर आ रहा था तो वो वापस घर लौट गई।
कुछ देर बाद…..
एक बड़े सैवन स्टार होटल में एक पार्टी चल रही थी। कुछ बिगड़े अमीरजादे शराब के नशे में झूम रहे थे। एक लड़का काउंटर पर बैठा हुआ था जिसकी तरफ से पार्टी दी गई थी। एक और लड़का काउंटर के पास पहुंचा तो पहले वाले लड़के ने शातिर मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा।
आओ राघव आओ, आखिर तुमने उस लड़की को अपने प्यार के जाल में फंसा ही लिया। तू सच में बहुत बड़ा कमीना है। मैंने दो बार उसको हां कहने को कहा था लेकिन दोनों बार सिर्फ थप्पड़ ही नसीब हुआ था। अब जब उसे भी वही दर्द मिलेगा तब जाकर इस दिल को सुकून मिलेगा। पर वो सब छोड़, आज की शाम, तुम्हारी कामयाबी के नाम।" शातिर हंसी हंसते हुए दोनों काउंटर से उठे और बाकी सब के साथ झूमने लगे।
नताशा राघव का इंतजार करती रह गई। पर वो नहीं लौटा। वो तो अपने दोस्त की दोस्ती निभाकर खुश था। यहां यह बात तो साबित हो गई कि वाकई लड़कों की दोस्ती उनके लिए बेहद खास होती है। उसे निभाने के लिए वो कुछ भी कर सकते है…जो कि राघव ने किया। पर अफसोस उसकी इस दोस्ती के बलि एक मासूम की खुशियाँ चढ़ गयी।
समाप्त….!!
वानी
31-Jan-2023 08:33 PM
Nice
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Varsha_Upadhyay
16-Jan-2023 08:38 PM
बेहतरीन
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
14-Jan-2023 06:38 PM
कहानी अच्छी है।👌🏻
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